Aparna Sharma

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लेखनी कहानी -#१५ पार्ट सीरीज चैलेंज पार्ट -12

15 पार्ट सीरीज चैलेंज 

महादेव शिव शंकर की कथाओं में निहित ज्ञान और प्रामाणिकता 
पार्ट -१२ 

*शिव और कन्या कुमारी*

बाणासुर के आतंक से सभी देवता परेशान थे ! 
उसने तप कर ब्रह्मा से वरदान ले लिया था कि - उसका वध एक कुंआरी कन्या ही कर सकती है तो 

ब्रह्मा ने विष्णु से सलाह मशवरा किया कि - इतने शक्ति शाली राक्षस को मारने के लिए तो आदि शक्ति का ही जन्म करना पड़ेगा!  
इस प्रकार दक्षिण भारत के एक राज्य में एक राजा के घर में आठ भाइयों की इकलौती बहन राजकुमारी पुण्याक्षी का जन्म हुआ! 
पुण्याक्षी बेहद सुन्दर, विदुषी , हर कला में निपुण ,ज्योतिष का उत्तम ज्ञान रखने वाली, आध्यात्मिक ज्ञानी कन्या थी ! ज्योतिष द्वारा सबकी मदद करती रहती थी जिससे गांव वालों की बहुत लाड़ली बेटी थी ! 
राजा की मृत्यु के बाद राज्य को नौ भागों में बाटकर पुत्र और पुत्री में बांट दिया! 
पुण्याक्षी बेहद कुशल संचालक थी ! उसने अपनी सूझबूझ से अपने छोटे से राज्य को बहुत ही कलात्मक और खूबसूरत बना दिया!  
उसका स्वभाव था वह नियमित ध्यान, योग और वेदों का अध्ययन करती थी ! अध्ययन के दौरान उसने शिव के बारे में जाना तो आदि शक्ति चूंकि शिव की ही है सदा से 
वो शिव के लिए दीवानी होने लगी ! 
उसने राज्य में एलान कर दिया कि वह विवाह करेगी तो सिर्फ शिव से ! 
वह राज्य के काम के बाद घंटों शिव का ध्यान और तप करती !
उसके कठोर तप से महादेव प्रसन्न हो गये उसे दर्शन दिये - " बोलो पुण्याक्षी क्या चाहिए? " 
" महादेव मुझे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार मुझसे विवाह करें !" 
पुण्याक्षी अत्यंत सुंदर, बुद्धि मति , तेजस्वी स्त्री थी महादेव ने जब उसकी मस्तक रेखा से जाना कि वो आदि शक्ति है तो तुरंत " तथास्तु" कह दिया!  
पुण्याक्षी के कपोल लाज से सुर्ख हो गये ! 
महादेव भी मन ही मन पुण्याक्षी को दिल दे बैठे !
" मेरे गांव में आकर मेरा हाथ मांग विधिवत विवाह कीजिए! " 
महादेव गांव के बुजुर्गों से मिले ! गांव वालों की ज्योतिष, आध्यात्मिक हीलर उनसे दूर चली जाएगी ये सोच कर उन्होंने एक चाल चली ! 
उन्होंने महादेव से कहा -" हमारी बताई तीन चीजें लाकर देने के बाद ही विवाह संभव है। " 
" कौन सी तीन चीजें ? बताइए मैं लाऊंगा !" 
" बिना धारी का पान का पत्ता, बिना आंख का नारियल और बिना गांठ का गन्ना " 
आप सभी जानते हैं कि प्राकृतिक रुप में ये संभव नहीं है। 
होते ही नहीं पर महादेव ने पुण्याक्षी को वचन दिया था विवाह का ये समझिए या पुण्याक्षी का प्रेम - उन्होंने प्रकृति के नियमों के विरूद्ध तीनों चीजें बना दी और गांव वालों को दे दी ! 
गांव वाले समझ गये महादेव सामान्य इंसान नहीं हैं परन्तु वे पुण्याक्षी का विवाह उनसे हर्गिज नहीं करना चाहते थे ! 
जब उन्होंने जाना कि महादेव हिमालय के भी ऊपर कैलाश पर्वत पर रहते हैं तो उन्होंने दूसरा पैंतरा खेला ! 
आप सभी नक्शे में देख सकते हैं कि कैलाश भारत के नक्शे में सबसे ऊपर है और कन्याकुमारी दक्षिण में सबसे नीचे !
तो उन्होंने महादेव से कहा - " इसी समय कैलाश जाइए ,बारात लेकर कल सुबह सूर्योदय से पूर्व आना होगा, सूर्योदय हो गया तो ये विवाह नहीं होगा! और हां आप पैदल आएंगे, किसी जादू का सहारा नहीं लेना है। " 
महादेव कैलाश जाकर नंदी आदि गणों को शर्तें बताकर बारात ले चले ! अत्यधिक लंबा रास्ता, पैदल चलने और थकान से सब एक एक कर हिम्मत हारकर लौट गए पर महादेव नहीं रूके ! चलते रहे ! 

इधर गांव वाले विवाह नहीं होने देना चाहते थे तो उधर घुमक्कड़ नारद को जब पता चला कि शंकर शादी करने जा रहे हैं तो वे भागे भागे नारायण के पास गये!  
" ये शादी रोकना होगा!" 
नारायण बोले! 
" हां आदि शक्ति का जन्म बाणासुर के वध के लिए हुआ है! आदि शक्ति और शिव का विवाह हो गया तो पुण्याक्षी कुंआरी नहीं रह जाएगी! बाणासुर का वध कुंआरी कन्या के हाथों ही संभव है। "
" यदि ये विवाह हो गया तो बाणासुर अमर हो जाएगा! " 
" नारद जाकर किसी भी तरह यह विवाह रोको !" 
" जो आज्ञा प्रभु !" 
कहकर नारद आकाश मार्ग से प्रस्थान कर गये !

महादेव पैदल चलते कन्या कुमारी से लगभग २२ किलोमीटर दूर थे ! सुचेन्द्रु पर्वत पर , रात के लगभग ३ बज रहे थे , वे खुश थे कि टाइम से पहुंच जाएंगे!  
कि तभी नारद वहां पधारे !
उन्होंने महादेव के साथ गप्पें लगाना शुरू किया!  
वो इस तरह रोक कर खड़े थे कि महादेव चाहकर भी जा नहीं पा रहे थे!  

उधर सैनिकों ने गांव वालों को जाकर सूचना दी कि महादेव सुचेन्द्रु पर्वत तक पहुंच गये हैं!  
सब घबराए --" मतलब सूर्योदय से पहले आ जाएंगे और विवाह हो जाएगा! " 
अब क्या करें ? 

उन्होंने एक विशाल कपूर का ढेर लगाया और उसमें आग लगा दी!  
सुचेन्द्रु पर्वत से वो ढेर सूर्योदय का आभास दे रहा था! 
नारद तो ऐसे ही किसी पल का इंतजार कर रहे थे, तुरंत बोले -" लो महादेव, सूर्योदय हो गया , आप लेट हो गये ! 

महादेव भोले भंडारी सारी बदमाशियों को सच समझ हताश हो गये !
" मैने पुण्याक्षी को विवाह का वचन दिया था मेरा वचन मिथ्या कैसे हो गया ? 
मुझे पुण्याक्षी से जाकर मिलना चाहिए, वो बहुत दुखी होगी ! 
" महादेव, जाना व्यर्थ है !पुण्याक्षी ने कहा था -" यदि महादेव सूर्योदय तक नहीं आए तो मैं आग में कूदकर अपनी जान दे दूंगी! " उसने अपनी जान दे दी होगी !" 
महादेव दुख से एकदम मौन हो गये , उसी मौन की स्थिति में वे सुचेन्द्रु पर्वत की चोटी पर जाकर बैठ गये ! 
और उसी अवस्था में महीनों बैठे रहे ! 

उधर दुल्हन की पोशाक में सजी पुण्याक्षी सुहाग का थाल सजाए प्रतिक्षा कर रही थी ! 
 सूर्योदय हो गया पर महादेव नहीं आए तब अपनी योजना सफल हुई देख गांव के लोग कहने लगे -" देख पुण्याक्षी तुझे धोखा दे गया !" 
दुख और क्रोध में पुण्याक्षी ने सुहाग की थाल रोली,चावल कुमकुम सहित समुद्र में फैंक दी ! 
और दुख में शिव के तप में लीन हो गयी ! " आपने ऐसा क्यों किया? मुझसे क्या गलती हो गई? " 

इसी तरह तपस्या में लीन थी कि वहां से भ्रमण करता बाणासुर निकला ! पुण्याक्षी की सुन्दरता देख उसके आगे विवाह का प्रस्ताव रखने लगा ! 
बार बार मना करने पर भी जब वो पीछे पड़ गया तब पहले ही धोखे की चोट खाई पुण्याक्षी ने क्रोध में बाणासुर का वध कर दिया और अपनी योगाग्नि से खुद को जला कर भस्म कर लिया !
कहते हैं जब महादेव को सत्य पता चला तो उन्होंने भविष्य वाणी की -" मेरा वरदान कभी खाली नहीं जाता है। पुण्याक्षी कलयुग के अंत में मेरा विवाह तुमसे होगा! " 

*ज्ञान* :- १) कई बार हम जिसे गलत समझते हैं वो गलत नहीं होता है ! 
२) कभी कभी हमें लगता है कि किसी ने हमें धोखा दिया लेकिन वह बेचारा खुद धोखे में होता है।  
३) सच्चा प्यार कभी जुदा नहीं होता एक दिन प्राप्त होता ही हैं ! 

*प्रामाणिकता* :- दक्षिण भारत में कन्या कुमारी नामक स्थान है जो शिव से विवाह न हो पाने के कारण जब देवी कुंआरी रह गयी तब पड़ा ! यहां कुमारी देवी का मंदिर भी है। यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त संसार में विख्यात है! यहां एक ही समय में चांद और सूरज एक साथ निकलते हैं! 
यहां शक्ति पीठ भी है। कहते हैं यहां पर सती की रीढ़ की हड्डी गिरी थी ! 

यहां से २२ कि.मी. दूर सुचेन्द्रु पर्वत पर आज भी बहुत से साधू संत तप करते मिल जायेंगे! उनका कहना है कि महादेव के यहां महीनों तप करने से वह स्थान बहुत जाग्रत है ,यहां पर सिद्धिया अति शीघ्र प्राप्त हो जाती हैं ! 
साथ ही स्थल पर स्वामी विवेकानंद का म्यूजियम और स्टेचू बना है ! कहते हैं स्वामी विवेकानंद की कुण्डलिनी शक्ति यहीं पर जाग्रत हुई थी।
शादी न होने पर पुण्याक्षी ने थाल सहित सारा सुहाग का सामान चावल वगैरह समुद्र में फेंक दिये थे जो आज भी किनारे पर चावल की शक्ल में कौड़ियों के रूप में पाए जाते हैं! श्रृद्धालु उनको घर ले जाते है ! 

अपर्णा गौरी शर्मा

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3 Comments

वानी

16-Jun-2023 09:18 PM

Nice

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Abhinav ji

14-Jun-2023 09:28 AM

Nice 👍

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Punam verma

14-Jun-2023 01:16 AM

Nice

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